नमस्कार आपका हमारे Knowledge with ruchi.com blog मैं स्वागत है भारत अपने इतिहास और भूगोल के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है भारत में बहुत से किले और महल बने हुए हैं जो कि अपने इतिहास के लिए जाने जाते हैं साथ ही कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरे भी मौजूद है जिन्हें यूनेस्को और नेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है।
आज हम ऐसे ही एक पैलेस के बारे में जानेंगे जिसका नाम है “सिटी पैलेस ”
यदि आप ऐतिहासिक धरोहरों को देखने या उनके बारे में जानने के शौकीन है तो आर्टिकल को शुरू से अंत तक पूरा पढ़ें।
सिटी पैलेस का इतिहास (City Palace Udaipur History in Hindi):-
इतिहासकारों का कहना है कि सिटी पैलेस का इतिहास मेवाड़ राज्य से संबंधित है जो कि नागदा के इलाके के नजदीक ही अपनी ऊंचाइयों को छू रहा था और उस राज्य पर गुहिल शासन किया करते थे
जिन्होंने महाराणा प्रताप का प्रभुत्व स्थापित यहां सन 568 मे किया, उसके पश्चात 1537 में चित्तौड़ में मेवाड़ राज्य विरासत में दिया महाराणा उदय सिंह को जो कि यहां के उत्तराधिकारी थे
लेकिन मुगलों के द्वारा राज्य पर नियंत्रण खोने के डर से उन्होंने पिछोला झील के किनारे पर झीलों, जंगलों और शक्तिशाली अरावली पहाड़ियों से घिरा नए उदयपुर शहर में अपनी राजधानी स्थानांतरित करने का फैसला किया और एक भोज की सलाह अनुसार महल का निर्माण करवाया
महल में बनने वाला पहला ढांचा ‘राय आंगन’ के नाम से जाना जाता है जहां से निर्माण जोरों शोरों से चला और लगभग 1559 ईस्वी में बनकर तैयार हो गया हालांकि वर्तमान समय के महल के ढांचे में कई बदलाव किए थे
जिनका कार्य पूर्ण होने में 400 साल लगे जिनमें से 11 छोटे महल भी मौजूद है जिनका निर्माण उदयसिंह द्वितीय जैसे शासकों के द्वारा करवाया गया था, महाराज की मृत्यु के बाद उनके पुत्र महाराणा प्रताप ने सफलता के साथ कई युद्ध लड़े
लेकिन बदकिस्मती से अकबर से हल्दीघाटी के युद्ध में हार गए, उस समय उदयपुर मुगलों से कई आगे निकल गया था लेकिन फिर अकबर की मृत्यु के बाद महाराणा प्रताप ने बेटे को वापस कर दिया
और बाद में महाराणा भीमसिंह ने मराठा द्वारा करने वाले आक्रमणों से सुरक्षा के लिए अंग्रेजों से संधि कर ली और भारतीय स्वतंत्रता तक महाराणा भीमसिंह ने महल पर सन 1947 तक शासन किया और उसके बाद मेवाड़ साम्राज्य को लोकतांत्रिक भारत में समाहित कर लिया गया।
सिटी पैलेस की वास्तुकला (Architecture of City Palace):-
सिटी पैलेस राजस्थान के उदयपुर जिले में एक पिछोला झील के किनारे पर स्थित है इस महल की लंबाई लगभग 244 मीटर और चौड़ाई 30. 4 मीटर है सिटी पैलेस बेहद ही खास ग्रेनाइट और संगमरमर से निर्मित है
इसकी दीवारों और परिसर में बने महलों को रंगीन कांच, बेहतरीन चित्र और महीन कारीगरी से सजाया गया है पैलेस में बनी लंबे गलियारे एक भूलभुलैया के समान है जिन्हें दुश्मनों के हमलों से बचने के लिए बनाया गया था
सिटी पैलेस के परिसर में सुंदर महल, आंगन, मीनारें, गुंबद, गलियांरे, मंडप, छत्ते, विशाल कक्ष, लटकता हुआ उद्यान और एक विशाल संग्रहालय भी मौजूद है जिसमें राजपूत कला और प्राचीन संस्कृति से संबंधित शाही वस्तुओं को रखा गया है
सिटी पैलेस में आकर्षक यूरोपीय और मध्ययुगीन के साथ-साथ चीनी वास्तुकला से निर्मित ‘रीगल महल’ भी मौजूद है सिटी पैलेस में मुख्य प्रवेश द्वार जिसे हाथीपोल के नाम से जाना जाता है इस प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करने के बाद सुंदर जगदीश जी का मंदिर दिखाई देता है
उसके बाद एक बारी पोल या बड़ा गेट के नाम से जाना जाने वाला द्वार आता है जिससे आंगन का रास्ता जाता है और इस द्वार से त्रिक द्वार या त्रिपोली की ओर भी जा सकते हैं
सिटी पैलेस का सबसे पुराना हिस्सा जिसे ‘राज आंगन’ के नाम से जाना जाता है इसका अर्थ ‘शाही प्रांगण’ होता है इस प्रांगण का निर्माण महाराणा उदय सिंह के द्वारा करवाया गया था जो कि वर्तमान समय में एक संग्रहालय में बदल दिया गया है सिटी पैलेस के परिसर में अद्भुत 11 महल भी बने हुए हैं जो कि बेहत ही आकर्षित हैं
सिटी पैलेस में लोकप्रिय पर्यटक स्थल (Tourist place Inside of City Palace):-
द्वार-
सिटी पैलेस में कई प्रसिद्ध और प्राचीन द्वार बने हुए हैं जिन की शुरुआत ‘बारी द्वार’ या ‘बारी पोल’ से होती है उसके बाद त्रिपोलिया द्वार इसका निर्माण सन 1725 में किया गया था जो एक धनुषाकार द्वार है परिसर के केंद्र में स्थित हाथी गेट जिसे ‘हाथी पोल’ के नाम से जाना जाता है बारा पोल जो की मुख्य द्वार है यह द्वार पहले आंगन की ओर ले जाता है जहां पर महाराणाओं का सोना, चांदी से तोला जाता था
अमर विलास-
यह अद्भुत ऊंचे बगीचे के रूप में है जिसे अमर विलास के नाम से जाना जाता है जिसमें कई सुंदर फूलों के पेड़ -पौधे, फव्वारे और मीनारें है प्राचीन समय में राजा महाराजा अमर विलास का उपयोग अवकाश का समय बिताने में किया करते थे बादी महल का रास्ता भी अमर विलास से होते हुए भी जाता है
बड़ी महल-
बादी महल एक इमारत के रूप में है इसे गार्डन पैलेस के नाम से भी जाना जाता है यह प्राकृतिक रूप से चट्टान से बनी है जिसकी ऊंचाई 27 मीटर है यहां एक शानदार स्विमिंग पूल भी बना हुआ है और एक हॉल में 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के जग मंदिर, लघु चित्रों और जगदीश मंदिर के विष्णु जी के अद्भुत चित्र बने हुए हैं प्राचीन समय में इस महल का उपयोग होली के उत्सव के लिए किया जाता था
दरबार हॉल-
दरबार हॉल, जो 1909 में फतेप्रकाश पैलेस में आधिकारिक समारोहों के लिए एक स्थान के रूप में बनाया गया था,यह एक नया अतिरिक्त हॉल है। पूरा हॉल झूमर से सुशोभित हैं, इस हॉल में हथियारों और महाराणा के चित्रों का प्रदर्शन भी किया गया है।
भीम विलास-
भीम विलास एक गलियारे के रूप में बना हुआ है जिसमें सुंदर राधा कृष्ण के प्राचीन चित्रों का अधिक संख्या में संग्रह किया गया है
चिनि चित्रशाला-
चीनि चित्रशाला सिटी पैलेस के मुख्य आकर्षण स्थलों में से एक है यह चीनी वास्तुकला से निर्मित है और इस स्थान पर अद्भुत डच और चीनी टाइलों का संग्रह भी देखने को मिलता है
छोटी चित्रशाला-
यह एक गैलरी के रूप में बनी हुयी है जहां अलग-अलग सुंदर मोर के चित्रों को संग्रह करके रखा गया है यह छोटी चित्रशाला बेहद ही आकर्षक है
कृष्ण विलास-
यह विलास एक संग्रहालय के रूप में है जहां पर लघु चित्रों का विशाल संग्रह किया गया है
सिटी पैलेस संग्रहालय-
इसे ‘जेनाना महल’ या ‘लेडीस चेंबर’ के नाम से भी जाना जाता है जिसे वर्तमान समय में एक संग्रहालय में बदल दिया गया है और अब इसे आम जनता के लिए भी खोल दिया गया है
शीश महल-
शीश महल एक दर्पण का महल है इस महल का निर्माण महाराणा प्रताप के द्वारा अपनी पत्नी महारानी अजबदे के लिए सन 1716 में करवाया गया था इस पूरे महल को रंग-बिरंगे विशेष प्रकार के कांच के टुकड़ों से सजाया गया है
फतेप्रकाश पैलेस-
वर्तमान समय में फतेह प्रकाश पैलेस को एक होटल के रूप में बदल दिया गया है यहां क्रिस्टल की कुर्सियां, सोफा, टेबल, कुर्सियाँ,ड्रेसिंग टेबल, टेबल फव्वारे शामिल है लेकिन इन सभी वस्तुओं का कभी उपयोग नहीं किया गया है क्योंकि सन 1877 में महाराजा सज्जन सिंह ने इन सभी वस्तुओं को बनाने के लिए आर्डर दिया था लेकिन उनके इस महल में आने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई थी
मोर चौक-
तीन मोर, जो गर्मी, सर्दी और मानसून के मौसम को बताते हैं,जिने इस कमरे में बहुत विस्तार से दिखाए गए हैं, जो महल के आंतरिक स्थानों का एक महत्वपूर्ण घटक है। मोर को कांच के 5000 टुकड़े, सोने और नीले रंग के रंगों में सजाया गया है। एक बालकनी जो ऊपर की ओर फैली हुई है,
टिंटेड ग्लास आवेषण से घिरी हुई है। कांच-की-बुर्ज, जो इस जगह के बगल में है, जिस की दीवार पर लगे दर्पण मोज़ाइक की एक किस्म के है। इस क्षेत्र के भीतर निजी उपयोग के लिए एक छोटा सा दरबार है जिसे बड़ी चरूर चौक के नाम से जाना जाता है।
डेस्टीनेशन वेडिंग के लिए “जनाना महल”-
यह तो आप सभी को पता है कि उदयपुर में स्थित सिटी पैलेस में कई रॉयल मैरिज वेडिंग होती है यह सभी वेडिंग्स जनाना महल में की जाती है इस महल को 1600 के दशक में बनवाया गया था जो कि इस सिटी पैलेस के मुख्य हिस्सों में से एक माना जाता है
रात के समय में जनाना महल मोमबत्ती की रोशनी से भी चमकने लगता है जो कि देखने के लिए बेहद ही आकर्षक नजारा होता है इस महल में कई रॉयल वेडिंग्स हो चुकी है इस महल में लगभग 500 मेहमान आराम से बैठ सकते हैं जनना महल के डेकोरेशन की फीस 6 लाख से शुरू होती है और 35 लाख तक भी जा सकती है
सिटी पैलेस के आसपास पर्यटक स्थल (Tourist place around of City Palace):-
अगर आप सिटी पैलेस घूमने का प्लान बना रहे है तो आप को बता दे की राजस्थान के उदयपुर जिले में सिटी पैलेस के अलावा भी कई प्रसिद लोकप्रिय पर्यटक स्थल है जो सिटी पैलेस के नजदीक ही स्थित है जो बेहत ही प्रसिद भी माने जाते है जहाँ आप को उदयपुर की यात्रा के दोरान अवश्य जाना चाहिए।
उदयपुर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
- सिटी पैलेस
- बागोर की हवेली
- चित्तौड़गढ़ किला
- कुंभलगढ़ किला
- हल्दीघाटी
- सहेलियों की बाड़ी
- बड़ा महल
उदयपुर की प्रसिद्ध झीले
- पिछोला झील
- दूध तलाई झील
- उदय सागर झील
- फतेह सागर झील
- जयसमंद झील
- बड़ी झील
उदयपुर के प्रमुख मंदिर
- जगदीश मंदिर
- नीमच माता मंदिर
- एकलिंगजी मंदिर
उदयपुर मैं घूमने वाले आकर्षक स्थल
- जग मंदिर
- सज्जनगढ़ पैलेस या मानसून पैलेस
- भारतीय लोक कलामंडल और म्यूजियम
- ताज लेक पैलेस
- हाथी पोल बाजार
- अंबराई घाट
- चेतक सर्कल
- सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क
- महाराणा प्रताप स्मारक
- शिल्पग्राम
- सुखाड़िया सर्किल
- गुलाब बाग़ और चिड़ियाघर
- वैक्स म्यूजियम
- क्रिस्टल गैलरी
- विंटेज कार
- अहर म्यूजियम
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जयपुर की शान “सिटी पैलेस” का इतिहास-
सिटी पैलेस घूमने का सही समय, खुलने का समय और प्रवेश शुल्क :-
घूमने का सही समय –
अगर आप सिटी पैलेस घूमने जाने का विचार बना रहे हैं तो हम आपको बता दें कि वैसे तो साल में आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन अप्रैल से जून तक के महीने में ना जाए क्योंकि इन महीनों में राजस्थान में गर्मी बहुत पड़ती है और तापमान अधिक डिग्री तक पहुँच जाता है इसलिए आप सितम्बर से लेकर मार्च तक के महीनों में वहां घूमने जा सकते हैं इस समय मौसम ठंडा रहता है और सिटी पैलेस बेहत खुबसूरत लगता है।
खुलने का समय :-
सिटी पैलेस सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक खुला रहता है।
प्रवेश शुल्क :-
वयस्क के लिए | 30 ₹ |
बच्चो के लिए | 15 ₹ |
बोट राइड अडल्ट के लिए | 400 ₹ |
बोट राइड बच्चो के लिए | 200 ₹ |
सनसेट बोट राइड अडल्ट के लिए | 700 ₹ |
सनसेट बोट राइड बच्चो के लिए | 400 ₹ |
कार्गो बोट प्रति घंटा | 4100 ₹ |
क्रिस्टल गैलरी विजिट अडल्ट | 550 ₹ |
क्रिस्टल गैलरी टिकट बच्चों के लिए | 350 ₹ |
विंटेज एंड क्लासिक कार कलेक्शन विजिट अडल्ट | 250 ₹ |
विंटेज एंड क्लासिक कार कलेक्शन विजिट बच्चों | 150 ₹ |
मेवाड़ लाइट एंड साउंड हिंदी शो | 250 ₹ |
मेवाड़ लाइट एंड साउंड इंग्लिश शो | 500 ₹ |
चार्टर बोट टिकट 7 लोगों से शुरू होकर 24 लोगों के लिए | 4500- 18000 ₹ |
सिटी पैलेस में हिंदी स्पीकिंग गाइड | 300 ₹ |
म्यूजियम के लिए गाइड का चार्ज | 200- 250 ₹ |
सिटी पैलेस तक केसे पहुंचे (How to reach City Palace) :-
ट्रेन से सिटी पैलेस तक केसे पहुंचे :-
अगर आप ट्रेन से जाने की सोच रहे हैं तो आप को बता दे की सिटी पैलेस के सबसे नजदीक उदयपुर रेलवे स्टेशन है रेलवे स्टेशन से आप बस या टेक्सी ले सकते है और पैलेस तक पहुच सकते है।
फ्लाइट से सिटी पैलेस तक केसे पहुंचे :-
अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो उदयपुर में स्थित डबोक हवाई अड्डा सिटी पैलेस के सबसे नजदीक है हवाई अड्डे से आप बस या टेक्सी की मदद से पैलेस तक पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग से सिटी पैलेस तक केसे पहुंचे :-
अगर आप सड़क मार्ग के रास्ते से जाना चाहते हैं तो आप खुद के साधन से भी जा सकते हैं यह सिटी पैलेस सड़क मार्ग के द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और सभी शहरों में चलने वाली सार्वजनिक बसे भी आपको उदयपुर या सिटी पैलेस तक पहुंचा सकती हैं।
सिटी पैलेस तक पहुंचने का मेप :-
सवाल जवाब (Question Answer) :-
सिटी पैलेस कहां स्थित है?
भारत में राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है।
सिटी पैलेस की स्थापना कब हुई?
किले की स्थापना 1559 ईस्वी में हुई।
सिटी पैलेस का निर्माण किसने करवाया?
महाराणा उदय सिंह ने।
सिटी पैलेस प्रेरकों के लिए कितने बजे खुलता और बंद होता है?
किला सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक खुला रहता है।
सिटी पैलेस क्यों फेमस है?
सिटी पैलेस अपनी विशिष्ट वास्तुकला और पैलेस के अंदर बने लोकप्रिय महल, संग्रहालय, विलास और ‘जनाना महल’ के कारण काफी फेमस है।
सबसे महत्वपूर्ण बाते (Most important topic) :-
दोस्तों की ऐतिहासिक इमारतों महलों और पर्यटक स्थलों पर यात्रा अवधि टिकट के पैसे जैसे छोटी चीजें बदलती रहती है।
यदि अगर आप को इनके बारे में पता है तो आप कमेंट में जरूर लिखें हम आपके द्वारा दी गई जानकारी जल्द ही अपडेट कर देंगे और यदि इस पोस्ट में हमसे कोई गलती हो गई है तो वह जरूर बताएं।
धन्यवाद