महाराष्ट्र में स्थित रायगढ़ किले का इतिहास
इतिहासकारों का कहना है कि रायगढ़ किले का निर्माण चंद्रराव मोर्स द्वारा 1030 ईस्वी में करवाया गया था उस समय इस किले को रायरी किले के नाम से जाना जाता था।
इतिहासकारों का कहना है कि रायगढ़ किले का निर्माण चंद्रराव मोर्स द्वारा 1030 ईस्वी में करवाया गया था उस समय इस किले को रायरी किले के नाम से जाना जाता था।
तोरणा किले का निर्माण 13 वीं शताब्दी में हुआ था। हिंदू देवता शिव के अनुयायी शिव पंथ ने इसका प्रदर्शन किया। तोरणा किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा 1646 में उनकी किशोरावस्था के दौरान कब्जा किया गया
लोकप्रिय विजयदुर्ग किले का निर्माण भोज द्वितीय के द्वारा 13 वी शताब्दी में करवाया गया था जब तक यह किला आदिल शाह के कब्जे में था इस किले का नाम “गहरिया” था और 5 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ था
छत्रपति शिवाजी ने सन 1646-1647 के मध्य आदिलशाह से तोरण किले के साथ ही राजगढ़ किले पर भी अपना अधिकार जमा लिया था और राजगढ़ जिले का पुनर्निर्माण करवाया गया और तभी किले का नाम राजगढ़ रखा गया
बेकल किले का निर्माण महाराजा शिवप्पा नायक के द्वारा 1650 ईस्वी में करवाया गया था, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह किला चिरक्कल राजाओं के शासनकाल के दौरान का है
पलक्कड़ किला एक भव्य प्राचीनतम किला है हालांकि, किले का वर्तमान स्वरूप 1766 ईस्वी में मैसूर के महान सम्राट हैदर अली द्वारा निर्मित है, 18 वीं शताब्दी की शुरुआती समय में उन्होंने अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की,
मंजराबाद किले का निर्माण टीपू सुल्तान ने एक रक्षात्मक स्थान के रूप में सन 1792 में करवाया था ऐसा कहा जाता है मंजराबाद किला भारत में कर्नाटक के हासन जिले में स्थित है जो कि बेहद ही प्राचीन और प्रसिद्ध किलो में से एक माना जाता है यह कि एक स्टार के आकार का बना हुआ है जो कि 3,240 फीट की ऊंचाई पर स्थित है
ओरछा किले का निर्माण 16 वी शताब्दी में सन 1501-1531 के मध्य महाराजा रुद्र प्रताप सिंह के द्वारा करवाया गया यह राजा बुंदेला राजवंश के राजा थे।
चंद्रगिरी किला लगभग 1000 साल पुराना है इस किले का निर्माण 11 वीं शताब्दी में यादवराय के द्वारा करवाया गया था उसके कुछ समय पश्चात चंद्रगिरी के किले को यादव नायडू ने अपने नियंत्रण में ले लिया था
वहाँ रहने वाले लोगों का ऐसा मानना है कि रात के समय रोहतास किले में से चीखने चिल्लाने की आवाजे आती है इस कारण सूरज ढलने के बाद किले के आसपास कोई नहीं जाता, कुछ लोग तो सूर्यास्त होने के पहले भी वहां अलेके जाने से डरते हैं